Kavita Jha

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भक्ति भाव कुकुभ छंद गीत #लेखनी दैनिक कविता प्रतियोगिता -24-Sep-2022

भक्ति भावना

कुकुभ छंद गीत 
ईश कृपा की चाह लिए मैं 
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धूप दीप नैवेद्य नहीं है,मन से करती हूँ पूजा।
ईश कृपा की चाह लिए मैं,कोई कहीं न हैं दूजा।। 

यह जग झूठा लगता मुझको, अब तो दर्शन दे जाओ।
एक सहारा मिल जाए अब,  मेरे सब कष्ट मिटाओ।।
रिश्ते नातों के बंधन में, समय नहीं दे पाती हूँ।
ईश कृपा की चाह लिए मैं, मन से भजन सुनाती हूँ।।

मन में भक्ति भाव हो हरदम, स्मरण सदा करना होगा।
 उनकी इच्छा के कारण ही, दुख सुख है हमने भोगा।।
पूजा पाठ प्रार्थना से ही, आती हैं हममें ऊर्जा ।
ईश कृपा की चाह लिए मैं, कोई कहीं न हैं दूजा।।
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कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी
##लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता
२४.०९.२०२२

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7 Comments

Swati chourasia

25-Sep-2022 08:38 AM

वाह बहुत खूब 👌👌

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Reena yadav

24-Sep-2022 06:27 PM

बहुत सुंदर

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Pratikhya Priyadarshini

24-Sep-2022 12:38 PM

Bahut khoob 💐👍

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